सिम लेते समय दर्ज हुआ गलत पता, इसलिए मरकज की सूची में आया कांकेर का नाम

कांकेर. दिल्ली के निजामुद्दीन मरकज से आई छत्तीसगढ़ के 159 लोगों की सूची ने प्रदेश में हडक़ंप मचा दिया है। इसमें कांकेर जिले के भी एक युवक का नाम है। यह सूची सोशल मीडिया में वायरल हो रही है। कांकेर में इसे लेकर दहशत का माहौल है, लेकिन जिलेवासियों को परेशान होने की जरूरत नहीं है। भास्कर ने इसकी पड़ताल की तो पता चला सूची में जिस युवक को कांकेर जिला का बताया जा रहा है वह ना तो कांकेर का रहने वाला है और ना ही वर्तमान में वह कांकेर में है।


चार साल पहले खरीदी थी सिम


उक्त युवक उत्तरप्रदेश का रहने वाला सीएएफ जवान है जो वर्तमान में दिल्ली में तैनात है। मरकज मामला सामने आने के बाद निजामुद्दीन इलाके में उस दौरान पहुंचे लोगों की जानकारी जुटाई गई। इलाके के मोबाइल टावर डंप का सहारा लिया गया जिसमें जवान का मोबाइल नंबर 9770762376 भी दिखने लगा। डिटेल निकाली गई तो उसका नाम व पता कांकेर आया जिसके बाद उसे छग की सूची में दर्ज कर भेज दिया गया। जवान ने चार साल पहले कांकेर से सिम खरीदा था। 


उसकी और सिम बेचने वाले की लापरवाही बनी मुसीबत
मोबाइल सिम लेते समय उसकी तथा सिम बेचने वाले द्वारा की गई एक लापरवाही उसके लिए मुसीबत बन गई है। मरकज से छग की आई सूची में 61 नंबर पर दर्ज नाम संतोष कुमार यादव निवासी फारेस्ट कालोनी सिंगारभाट कांकेर लिखा हुआ है। भास्कर को संतोष यादव ने बताया कि उसका नाम व मोबाइल नंबर तो सही लिखा है लेकिन पता कैसे कांकेर लिख दिया गया है, समझ से परे है। वह सीएएफ जवान है और उत्तरप्रदेश का रहने वाला है। 2016-17 में उसकी कंपनी अंतागढ़ में तैनात थी तब वह कांकेर जिले में था। फिर उसकी तैनाती गीदम तथा 2018 में दिल्ली हो गई। तब से दिल्ली के रंगपुरी इलाके में तैनात है। उसने न कभी कांकेर जंगलवार कालेज में ट्रैनिंग ली और ना ही कांकेर के सिंगारभाट कभी गया।


गलत पता दर्ज किया गया था
जवान ने चार साल पहले 2017 में अंतागढ़ में तैनात रहने के दौरान कांकेर के मस्जिद के निकट स्थित एक मोबाइल दुकान से निजी कंपनी का सिम खरीदा था। प्रकिया के तहत व अपना आई कार्ड दिया था। जिले से बाहर का निवासी होने के कारण उसे इस जिले में सिम खरीदने तथा एक्टिवेट करना मुश्किल था। नियमों को ताक में रख उसके आवेदन में कांकेर जिले का फर्जी स्थाई पता डाला गया। जवान भी इसका विरोध करने के बजाय शामिल हो गया।


सूची में अन्य पर भी संदेह 
जारी सूची में अधिकांश का पता उनके मोबाइल नंबर के आधार पर लिखा गया है। संदेह है कि जिनके नाम सूची में दर्ज हैं, उनका पता सही है या नहीं। मोबाइल से उस व्यक्ति तक संपर्क हो गया तो ठीक लेकिन मोबाइल से संपर्क नहीं हुआ तो ऐसे फर्जी पते वालों को तलाश करना संभव नहीं हो पाएगा। 



छत्तीसगढ़ की सूची की चल रही जांच 
मुख्यमंत्री के संसदीय सलाहकार राजेश तिवारी ने बताया कि छग की सूची में जिस युवक को कांकेर निवासी बताया गया है उसकी जांच की गई है। वह कांकेर का निवासी नहीं है। छग की जो सूची आई है उसका वेरीफिकेशन किया जा रहा है। 


स्थायी पते के नाम पर देते थे फर्जी दस्तावेज 
सिम खरीदने वाले को स्वयं काउंटर पर उपस्थित होकर आधार कार्ड प्रस्तुत करना होता है। साथ ही उसे जहां से सिम खरीद रहा है उस जिले का स्थाई निवासी होना जरूरी है। मौके पर खरीदार की फोटो खींच आधार कार्ड से डिटेल लेकर सिम दिया जाता है। निजी कंपनियों द्वारा फोटो व आधार तो सिम खरीदने वाले से लिया जाता है लेकिन स्थाई पता के नाम पर किसी के भी फर्जी दस्तावेज लगा दिए जाते हैं।



जहां से सिम खरीद रहे वहां का निवासी होना जरूरी 
टेलीकाम एसडीओ नरसिंग चंद्रा ने बताया वर्तमान में सिम के लिए कस्टमर को आधार कार्ड के साथ काउंटर में उपस्थित होना तथा जिले का निवासी होना जरूरी है। इसके बाद ही उसे ऑनलाइन सिम प्रदान किया जाता है।